या कवितेचा विशेष म्हणजे ........ तीन कडवी तीन वेगवेगळ्या रसांमधली आहेत (वीर रस, करूण रस व भक्ती रस) |
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| सुपरमँन सुपरमँन सुपरमँन |
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| वरतून चड्डी आतून पँट |
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| अंगामध्ये ताकद फार, पोलादाची जणू पहार |
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| पक्षी नाही तरी उडतो, मासा नाही तरी बुडतो |
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| उडण्याचाही भलता वेग, पँरीस पनवेल सेकंद एक |
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| रोज पृथ्वीला चकरा पाच, गेला म्हणता हा आलाच |
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| गरुडाहूनही थेट नजर, जिथे संकटे तिथे हजर |
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| कोसळती बस हा अडवी, फुंकरीत वणवा विझवी |
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| अंतराळीचे व्हिलन कुणी, त्यांच्याशी दण्णादण्णी |
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| अवघी दुनिया त्याची फँऽऽऽऽऽन |
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| सुपरमँन सुपरमँन सुपरमँन |
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| जरी जगाहून भिन्न असे, तरी मनातून खिन्न असे |
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| आदर करती सर्व जरी परी न कोणी मित्र तरी |
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| लांबून कौतुक हे नुसते, कुणी न मजला हे पुसते |
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| जेवण झाले काय तुझे, काय गड्या हे हाल तुझे |
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| दिवस रात्र हे तू दमशी, सांग तरी मग कधी निजशी |
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| उडता उडता असे सुसाट, दुखते का रे मधेच पाठ |
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| एकएकटे फिरताना, विचार करतो उडताना |
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| आत रिकामे का वाटे, कसे वाटते सर्व थिटे |
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| अंगी ताकद जरी अफाट, काय नेमके सलते आत |
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| करुन बसला तोंड लहाऽऽऽऽन |
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| सुपरमँन सुपरमँन सुपरमँन |
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| असा एकदा एक दिशी उंच हिमाच्या शिखराशी |
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| बसला असता लावून ध्यान त्यास भेटला मग हनुमान |
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| काय तयाचे रूप दिसे सुर्याचे प्रतिबिंब जसे |
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| शक्ती ही अन् युक्ती ही, तरी अंतरी भक्ती ही |
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| आणि बोलले मग हनुमान.... |
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| ऐक ऐक हे सुपरमँन, ऐक ऐक हे सुपरमँन |
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| ऐक ऐक हे सुपरमँन, ऐक ऐक हे सुपरमँन |
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| रोनी सी ये सूरत क्यूँ? मित्रा I am proud of you!! |
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| सर्वाहून आगळाच तू, जैसा मी रे तैसा तू |
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| ऐक एवढे ते अवधान, शक्ती युक्ती चे हे वरदान |
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| त्या रामाने दिले तुला, त्याने बनवले तुला मला |
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| त्या रामास्तव करणे काम, त्या रामास्तव गळू दे घाम |
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| साथ जरी ना कुणी असे, आत तुझ्या पण राम असे |
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| राम राम हे म्हणत रहा, आणि जगाला भिडत रहा |
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| त्या रामाचे करूनी ध्यान, चिरंजीव भव सुपरमँऽऽऽऽऽन |
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| चिरंजीव भव ...सुपरमँऽऽऽऽऽन |
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| सुपरमँन सुपरमँन सुपरमँन, जय हनुमान |
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| सुपरमँन सुपरमँन सुपरमँन, जय हनुमान |
सुपरमँन - संदिप खरे...... Suparman by Sandip Khare